जब पहली बार salary अकाउंट में आती है, तो जो फीलिंग होती है ना, उसे शब्दों में बता पाना मुश्किल है।

कुछ सेकेंड के लिए तो ऐसा लगता है जैसे अब ज़िंदगी सेट है। दिल करता है सब कुछ खरीद लें वो मोबाइल जो लिस्ट में महीनों से पड़ा है, नए कपड़े, दोस्तों को पार्टी, और मां-पापा के लिए कुछ अच्छा।

लेकिन रुकिए।

यहीं से असली ज़िंदगी की शुरुआत होती है। क्योंकि salary कमाना जितना ज़रूरी है, उसे समझदारी से इस्तेमाल करना उससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी होता है।

वरना महीने के बीच में ही अकाउंट खाली हो जाएगा और फिर इंतज़ार रहेगा अगले महीने के “पहले” का।

तो आइए आराम से बात करते हैं कि आप अपनी पहली salary को कैसे मैनेज कर सकते हैं, ऐसे जैसे कोई बड़ा भाई या दोस्त समझा रहा हो।

सबसे पहले , थोड़ा enjoy करो

अरे भाई, मेहनत की है, तो थोड़ा सेलिब्रेट तो बनता है। लेकिन एक बात ध्यान में रखना “थोड़ा”। ऐसा नहीं कि पूरी salary उड़ा दी पहले हफ्ते में।

एक डिनर फैमिली के साथ, किसी दोस्त को चाय पर बुला लिया, या फिर अपने लिए एक छोटा गिफ्ट ले लिया बस, काफी है।

खुश होने का मतलब ये नहीं कि खर्चा बिना सोचे-समझे करो।

महीने के खर्च कौन-कौन से हैं?

सबसे पहले ये देखो कि तुम्हारी ज़रूरतें क्या हैं। रहना कहाँ है? रूम रेंट देना है या नहीं? ट्रैवल कितना होता है ऑफिस जाने के लिए? मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट, खाने-पीने का सामान ये सब बुनियादी चीजें हैं।

इन सबका एक अंदाज़ा लगा लो। पेन-पेपर या कोई ऐप में लिख लो।

मान लो तुम्हारी सैलरी ₹25,000 है और इन ज़रूरी चीजों पर ₹12,000 लगते हैं, तो इतना हिस्सा हमेशा सबसे पहले साइड में रख दो।

Saving | बचत

कभी सुना है “पहले खुद को पे करो”? इसका मतलब है कि सैलरी आते ही पहले अपने लिए पैसा बचा लो। यानी कुछ हिस्सा फ्यूचर के लिए रखो।

जैसे 20% से शुरू करो। यानी ₹25,000 में से ₹5,000 हर महीने बचाओ। चाहे बैंक के सेविंग अकाउंट में डालो, चाहे किसी निवेश में।

जब भी मन कहे कि “अरे अभी तो ज़रूरत नहीं है”, खुद को याद दिलाओ “अभी ज़रूरत नहीं है, पर कल ज़रूरत पड़ सकती है।”

Emergency के लिए कुछ पैसा हमेशा अलग रखो

कभी भी कुछ अनप्लान हो सकता है। अचानक तबियत खराब, नौकरी चली गई, या घर जाना पड़ा। उस वक्त अगर जेब खाली हो तो हालात और बिगड़ जाते हैं।

इसलिए एक ऐसा फंड बनाओ जो सिर्फ मुसीबत के लिए हो।

हर महीने थोड़ा-थोड़ा डालते जाओ कुछ ही महीनों में अच्छा अमाउंट तैयार हो जाएगा।

Enjoy with your Family

अगर घर से सपोर्ट मिला है पढ़ाई में या जॉब के शुरुआती टाइम में, तो पहली सैलरी से कुछ छोटा-सा तोहफा ज़रूर दो।

जरूरी नहीं कि बहुत महंगा हो एक मिठाई का डब्बा या एक छोटा सा सरप्राइज। जो भी हो, अपने दिल से देना।

वो खुशी, वो मुस्कान किसी भी गैजेट से ज्यादा क़ीमती होती है।

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Long Term के बारे में भी सोचो

जब हमारी पहली नौकरी लगती है और सैलरी मिलती है, तो हममें से ज़्यादातर लोग सिर्फ उसी महीने को लेकर सोचते हैं — इस बार क्या लेना है, किसे पार्टी देनी है, EMI कैसे जाएगी, मोबाइल अपग्रेड करना है या नहीं।

लेकिन जो लोग थोड़ी दूर की सोच रखते हैं, वही धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी को और अपने पैसे को कंट्रोल में लाना सीखते हैं।

लॉन्ग टर्म का मतलब ये नहीं कि अभी सब कुछ छोड़कर 10 साल बाद की टेंशन लो बल्कि इसका मतलब है कि आज जो पैसा आया है, उसमें से थोड़ा-सा हिस्सा उस “कल” के लिए भी बचा कर रखो, जो धीरे-धीरे पास आ रहा है।

अब ये “Long term” होता क्या है?

लॉन्ग टर्म यानी वो चीजें जो एक-दो महीने में नहीं, बल्कि 3-5 साल या उससे भी ज़्यादा समय में पूरी होती हैं। जैसे—

  • अपनी खुद की बाइक या कार लेना
  • किसी बड़े कोर्स या पढ़ाई के लिए फीस जमा करना
  • घर खरीदना
  • शादी के खर्च
  • अपने परिवार के लिए कुछ बड़ा करना
  • एक दिन खुद का बिज़नेस शुरू करना
  • और सबसे ज़रूरी रिटायरमेंट की तैयारी

आज भले ही ये सब बातें दूर लगती हैं, लेकिन वक्त बहुत तेजी से निकलता है। कल जो चीज़ दूर लग रही थी, वो अचानक सामने खड़ी हो जाती है और अगर आपने तैयारी नहीं की, तो उस वक्त पछताना पड़ता है।

क्यों जरूरी है लॉन्ग टर्म के लिए सोचना?

क्योंकि अगर आपने अभी से इन सपनों के लिए कुछ नहीं किया, तो कल को सिर्फ दो ही ऑप्शन बचेंगे: या तो कर्ज (loan) लेना, या फिर सपनों को टालना। और दोनों ही बातें मन को मारने जैसी होती हैं।

अब सोचो, अगर हर महीने सिर्फ ₹500-1000 भी आप लॉन्ग टर्म चीज़ों के लिए अलग रखना शुरू करो, तो सालों में वो बड़ा अमाउंट बन सकता है बिना किसी बोझ के।

लॉन्ग टर्म के लिए पैसे को कहां लगाएं?

कोई एक सही तरीका नहीं है — ये आपकी ज़रूरत, उम्र और रिस्क झेलने की क्षमता पर निर्भर करता है। लेकिन नीचे कुछ आसान और भरोसेमंद ऑप्शन हैं:

1. SIP (Systematic Investment Plan)

हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा किसी म्यूचुअल फंड में डालना। इससे दो फायदे होते हैं पहला, पैसे की आदत लगती है और दूसरा, कंपाउंडिंग का जादू काम करता है।

2. PPF (Public Provident Fund)

सरकारी स्कीम है। पैसे सेफ रहते हैं, ब्याज अच्छा मिलता है और टैक्स भी बचता है।

3. NPS (National Pension Scheme)

ये उन लोगों के लिए है जो रिटायरमेंट को लेकर अभी से तैयारी करना चाहते हैं। ये भी सरकार से जुड़ी योजना है।

4. Recurring Deposit (RD)

अगर आप थोड़ा रिस्क लेने से डरते हैं, तो ये एक अच्छा और आसान विकल्प है। हर महीने बैंक में तय रकम जमा होती है और एक तय टाइम पर आपको एक बड़ा अमाउंट मिल जाता है।

खुद को बेहतर बनाने में भी पैसा लगाओ

सिर्फ सेविंग और खर्च नहीं, अपनी स्किल्स पर भी इन्वेस्ट करो। कोई कोर्स, कोई नई लैंग्वेज, या जो भी तुम्हारे काम को और बेहतर बना सके उस पर पैसा लगाना सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट होता है।

याद रखो, अगर खुद को बेहतर बनाते जाओगे, तो कमाई भी अपने आप बढ़ती जाएगी।

खर्च ज़रूर करो, पर सोच समझ के

ज़िंदगी का मजा लेना भी ज़रूरी है। हर चीज़ को सेविंग-सेविंग खेल बनाना भी ठीक नहीं। लेकिन फर्क बस इतना है कि जो खर्च करो, वो सोच समझ के हो।

जरूरत और चाहत में फर्क पहचानो।

जरूरत है तो करो। चाहत है तो सोच के करो।

Conclusion

अपनी पहली सैलरी को लेकर जो खुशी है, वो पूरी ज़िंदगी याद रहती है।

लेकिन उसी पल पर अगर आपने पैसे को समझदारी से संभालना सीख लिया, तो आगे का रास्ता बहुत आसान हो जाएगा।

सैलरी सिर्फ पैसा नहीं है ये आपकी मेहनत, आपकी पहचान और आपके सपनों की पहली सीढ़ी है।

उसे सोच-समझकर इस्तेमाल करोगे, तो कल तुम्हारा ही शुक्रिया अदा करेगा।

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2 thoughts on “अपनी पहली Salary कैसे मैनेज करें”

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