आजकल हम अक्सर ‘जेन ज़ी’ (Gen Z) के बारे में सुनते हैं, यानी वो नौजवान जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है।
ये वो पीढ़ी है जिसने मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में आँखें खोलीं।
इनकी सोच, आदतें और जिंदगी जीने का तरीका पुरानी पीढ़ियों से बिल्कुल अलग है।
पैसों के मामले में भी इनके सामने वो चुनौतियां हैं, जो शायद उनके माता-पिता ने कभी नहीं देखीं।
अगर आप इंटरनेट पर जेन ज़ी के Finance के बारे में पढ़ेंगे, तो आपको ज्यादातर निवेश, बचत या क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जानकारी मिलेगी।
लेकिन, हम यहाँ उन असली और अनकही चुनौतियों की बात करेंगे जो इनकी रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर डालती हैं।
‘Online दिखावा’ और पैसों का दबाव

जेन ज़ी सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव है। Insta, snapchat और You tube पर हर कोई अपनी जिंदगी का ‘सबसे अच्छा’ हिस्सा दिखाता है।
आज एक दोस्त ने विदेश यात्रा की तस्वीर डाली, कल दूसरे ने महंगे गैजेट्स दिखाए।
इस दिखावे की होड़ में, जेन ज़ी के नौजवानों पर एक तरह का अनकहा दबाव होता है।
उन्हें लगता है कि अगर उनके पास वो सब नहीं है जो उनके दोस्त दिखा रहे हैं, तो वो पीछे रह गए हैं।
यह दबाव उन्हें गैर-ज़रूरी खर्च करने पर मजबूर करता है। एक अच्छी तस्वीर के लिए महंगे कैफे में जाना, ब्रांडेड कपड़े खरीदना या नए गैजेट्स के लिए पैसे उड़ाना, जो असल में उनकी जरूरत नहीं है।
यह ‘दिखावा’ उनके बजट को पूरी तरह बिगाड़ देता है और उन्हें बचत करने से रोकता है।
यह सिर्फ एक इच्छा नहीं है, बल्कि एक सामाजिक दबाव बन गया है जिसे मैनेज करना बहुत मुश्किल है।
‘Subscription’ का जाल

जेन ज़ी को हर चीज़ डिजिटल और आसान चाहिए। नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफ़ाई, यूट्यूब प्रीमियम, गेमिंग पास, फूड डिलीवरी ऐप्स की मेंबरशिप… इनकी लिस्ट बहुत लंबी है।
हर Subscription का बिल छोटा लगता है – ₹199 या ₹499। लेकिन, जब इन सबको जोड़ा जाता है, तो यह एक बड़ी रकम बन जाती है।
पुरानी पीढ़ी के लिए एक टीवी चैनल का बिल होता था, लेकिन जेन ज़ी के लिए एंटरटेनमेंट और सुविधा के दर्जनों बिल होते हैं।
ये छोटे-छोटे खर्चे उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा चुपचाप खा जाते हैं।
अक्सर वे इन सब्सक्रिप्शन को भूल जाते हैं और पैसे अपने आप कटते रहते हैं। यह एक ऐसा ‘साइलेंट’ खर्च है, जो उनकी जेब पर भारी पड़ता है, और उन्हें पता भी नहीं चलता।
‘अभी चाहिए और Instant Loan
जेन ज़ी को सब कुछ तुरंत चाहिए। अगर उन्हें कोई चीज पसंद आती है, तो वे उसके लिए इंतजार नहीं कर सकते।
इस सोच ने ‘Buy Now, Pay Later’ (अभी खरीदो, बाद में भुगतान करो) और इंस्टेंट लोन ऐप्स को बहुत पॉपुलर बना दिया है।
यह सुविधा उन्हें बिना सोचे-समझे खर्च करने के लिए उकसाती है।
वे अपनी सैलरी आने से पहले ही खरीदारी कर लेते हैं और फिर EMI के बोझ तले दब जाते हैं।
ये छोटे-छोटे लोन और EMI मिलकर एक बड़ा कर्ज़ बन जाते हैं।
इस कर्ज़ के जाल में फंसना बहुत आसान है, और इससे निकलना मुश्किल।
माता-पिता की पीढ़ी को लोन लेने से पहले कई बार सोचना पड़ता था, लेकिन जेन ज़ी के लिए यह सिर्फ एक क्लिक का काम है, जो एक बड़ा खतरा है।
‘Risk’ को गलत समझना
Gen Z क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाज़ार में बहुत रुचि रखते हैं। उन्हें लगता है कि एक झटके में अमीर बना जा सकता है।
सोशल मीडिया पर ‘Trading guru’ उन्हें रातोंरात लाखों कमाने के सपने दिखाते हैं। वे बिना पूरी जानकारी के, बिना रिस्क को समझे, बड़ी रकम निवेश कर देते हैं।
उनके लिए निवेश सिर्फ़ एक जगह पैसा रखना नहीं, बल्कि एक तरह का जुआ है। अगर मुनाफा हुआ तो ठीक, नहीं तो कोई बात नहीं।
इस तरह की सोच से उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है।
वे अक्सर यह भूल जाते हैं कि हर निवेश में रिस्क होता है और यह उनके भविष्य की बचत को खतरे में डाल सकता है।
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Financial जानकारी की कमी
Gen Z के पास जानकारी की कमी नहीं है, बल्कि जानकारी का ओवरलोड है।
उन्हें You tube पर हजारों video मिलते हैं, Instagram पर finance influencer सलाह देते हैं, और हर कोई उन्हें करोड़पति बनने का शॉर्टकट बताता है।
इस सब जानकारी में, सही और गलत में फर्क करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
उनके पास पैसों को मैनेज करने की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं है। उन्हें स्कूल या कॉलेज में पैसों के बारे में नहीं सिखाया गया।
वे अपने माता-पिता से भी ज्यादा सलाह नहीं लेते, क्योंकि उन्हें लगता है कि पुरानी पीढ़ी की सलाह इस नई दुनिया में काम नहीं आएगी।
नतीजा यह होता है कि वे सोशल मीडिया पर दी गई अधूरी या गलत जानकारी पर भरोसा कर लेते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है।
Side Hustle और ‘multiple-income’ का दबाव
आजकल, जेन ज़ी के बीच ‘साइड हसल’ (Side Hustle) का ट्रेंड बहुत चल रहा है।
यानी अपनी नौकरी के अलावा कोई दूसरा काम करके पैसा कमाना, जैसे freelancing, content creation या online सामान बेचना।
यह एक अच्छी बात है, लेकिन यह एक तरह का दबाव भी पैदा करता है।
जेन ज़ी को लगता है कि अगर वे एक से ज़्यादा तरीकों से पैसा नहीं कमा रहे हैं, तो वे अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
यह सोच उन्हें लगातार काम करने के लिए मजबूर करती है, जिससे वे थक जाते हैं (Burnout)।
वे अक्सर यह भूल जाते हैं कि हर आय का एक खर्च भी होता है, और कई बार साइड हसल से आने वाला पैसा उनकी मुख्य आय से ज़्यादा खर्च करवा देता है, जैसे महंगे गैजेट्स खरीदना या कोर्स में पैसा लगाना।
Retirement
पुरानी पीढ़ी के लोग अपनी पहली नौकरी के साथ ही रिटायरमेंट के बारे में सोचना शुरू कर देते थे, जैसे PPF या EPF में निवेश करके।
लेकिन, जेन ज़ी के लिए रिटायरमेंट एक बहुत दूर का और अनिश्चित सपना है। वे आज में जीना पसंद करते हैं।
उन्हें लगता है कि 30-40 साल बाद की प्लानिंग अभी से क्यों करनी? वे भविष्य को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करते और सारा पैसा आज के शौक पूरे करने में लगा देते हैं।
इस सोच की वजह से वे compounding (ब्याज पर ब्याज) की शक्ति का फायदा नहीं उठा पाते, जो उन्हें भविष्य में बहुत बड़ा नुकसान दे सकता है।
जब वे 35-40 साल के होंगे, तब उन्हें एहसास होगा कि वे निवेश शुरू करने में बहुत देर कर चुके हैं।
Conclusion
Gen Z पैसों के मामले में एक अनोखी स्थिति में हैं। उनके पास जानकारी बहुत है, लेकिन सही दिशा और मार्गदर्शन की कमी है।
उन्हें यह समझना होगा कि ‘दिखावा’ एक जाल है, छोटे खर्चे भी जेब पर भारी पड़ते हैं, और हर निवेश में जोखिम होता है।
उन्हें ‘तुरंत खुशी’ की जगह ‘लंबे समय की खुशी’ के बारे में सोचना होगा।
अगर वे अपनी इन चुनौतियों को समझेंगे और सही वित्तीय आदतें अपनाएंगे, तो वे एक सुरक्षित और आरामदायक भविष्य बना सकते हैं।
उन्हें पैसों को एक tools की तरह इस्तेमाल करना सीखना होगा, न कि सिर्फ खर्च करने के लिए।
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