ज़िंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है। अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए,
आपकी गाड़ी ख़राब हो जाए, घर की मरम्मत की ज़रूरत पड़ जाए, या नौकरी छूट जाए। ऐसे में जब पैसों की तुरंत ज़रूरत पड़ती है,
तो पर्सनल लोन (Personal Loan) एक आसान और फटाफट मिलने वाला रास्ता लग सकता है।
बैंक और NBFCs (Non-Banking Financial Companies) इसे “बिना किसी गारंटी” के मिलने वाला एक सीधा लोन बताते हैं,
और इसका अप्रूवल प्रोसेस (approval process) भी अक्सर तेज़ होता है।
पर क्या सच में यह अचानक आए खर्चों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है?
अगर हम ध्यान से देखें, तो जहाँ पर्सनल लोन अपनी सुविधा के लिए जाना जाता है, वहीं अचानक आए खर्चों के लिए इस पर निर्भर रहना अक्सर एक महँगी गलती साबित हो सकता है।
यह आपको तुरंत राहत तो दे देगा, लेकिन लंबे समय में आपकी आर्थिक सेहत (financial health) पर भारी पड़ सकता है।
आइए, विस्तार से समझते हैं कि क्यों अचानक आए खर्चों के लिए Personal Loan लेना एक अच्छा विचार नहीं है और इसके बजाय आपको किन और बेहतर रास्तों पर सोचना चाहिए।
Personal Loan क्यों न लें?

Personal Loan भले ही तुरंत पैसे का इंतज़ाम कर दे, लेकिन इसकी क़ीमत अक्सर बहुत ज़्यादा होती है।
यह एक अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan) होता है, यानी इसके बदले बैंक आपसे कोई गिरवी (collateral) नहीं रखते।
इस ज़्यादा जोखिम (risk) की भरपाई के लिए, बैंक बहुत ज़्यादा ब्याज (interest) लेते हैं, जो आमतौर पर सालाना 10-25% या इससे भी ज़्यादा हो सकती है।
अगर आपका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) उतना अच्छा नहीं है, तो यह ब्याज दर और भी बढ़ जाती है।
जब आप अचानक के खर्चों के लिए इतनी ज़्यादा ब्याज पर लोन लेते हैं,
तो आपकी हर महीने की किस्त (EMI – Equated Monthly Installment) काफ़ी बड़ी हो जाती है।
यह किस्त हर महीने आपके बजट पर एक फालतू बोझ डालती है, जिससे आपके बाकी खर्चों और बचतों पर असर पड़ता है।
भले ही इमरजेंसी का खर्च छोटा हो, लेकिन ज़्यादा ब्याज के कारण आपको ली गई रकम से कहीं ज़्यादा पैसा वापस चुकाना पड़ता है,
जिससे आपकी कुल देनदारी (कुल चुकाई जाने वाली रकम) बढ़ जाती है।
यह आपके पैसे से जुड़ी सारी प्लानिंग (planning) बिगाड़ सकता है और आपको कर्ज के जाल में फँसा सकता है।
बहुत ज़्यादा ब्याज: जेब पर भारी पड़ेगा
Personal Loan की सबसे बड़ी ख़ामी सीधे तौर पर इसकी ज़्यादा ब्याज दर है।
जैसा कि हमने अभी देखा, यह बिना किसी गारंटी का लोन होता है, इसलिए बैंक का रिस्क बढ़ जाता है।
इस वजह से, बैंक आपसे आम तौर पर बहुत ज़्यादा ब्याज वसूलते हैं। अगर आपका क्रेडिट स्कोर पहले से ही कम है,
तो यह ब्याज दर और भी ऊँची जा सकती है, जो 30% या उससे भी ज़्यादा तक पहुँच सकती है।
इस ऊँची ब्याज दर का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है।
जो पैसा आप किस्त के रूप में चुकाते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ़ ब्याज भरने में चला जाता है, न कि मूल लोन की रकम चुकाने में।
इसका मतलब है कि आप अपनी असली ज़रूरत से कहीं ज़्यादा पैसा बैंक को वापस देते हैं।
यह आपके लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ (financial burden) बन जाता है और आपकी हर महीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा लोन चुकाने में चला जाता है,
जिससे आपके पास बचत करने या दूसरे ज़रूरी खर्चों के लिए कम पैसे बचते हैं।
Credit Score पर असर

Personal Loan अक्सर कुछ मुश्किल शर्तों के साथ आता है।
एक बार लोन मिल जाने और पैसा आपके बैंक अकाउंट (bank account) में आ जाने के बाद,
आपको हर महीने एक तय किस्त चुकानी होती है, चाहे आपकी पैसों की हालत कैसी भी हो।
अगर आप किसी महीने किस्त चुकाने से चूक जाते हैं, तो आपको तुरंत जुर्माना (penalty charges) लगता है।
इससे भी ज़्यादा गंभीर बात यह है कि आपकी यह चूक आपके क्रेडिट स्कोर को बहुत ख़राब कर देती है।
एक ख़राब क्रेडिट स्कोर का मतलब है कि भविष्य में आपके लिए कोई और लोन (जैसे घर के लिए होम लोन या गाड़ी के लिए कार लोन) लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
अगर लोन मिल भी गया, तो आपको उस पर बहुत ज़्यादा ब्याज चुकानी पड़ सकती है।
इमरजेंसी में पहले से ही तनाव होता है, और ऐसे में किस्त का बोझ और क्रेडिट स्कोर बिगड़ने का डर आपके तनाव को और बढ़ा सकता है।
यह आपकी आर्थिक सेहत के लिए एक लंबा ख़तरा बन जाता है, सिर्फ़ एक छोटी-मोटी ज़रूरत पूरी करने के लिए।
Emergency Fund की कमी की निशानी
अचानक आए खर्चों के लिए Personal Loan लेना अक्सर इस बात का संकेत होता है कि आपके पास पर्याप्त इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) नहीं है।
Emergency Fund वह पैसा होता है जिसे आप अचानक आए खर्चों जैसे नौकरी छूट जाना, मेडिकल इमरजेंसी या घर की बड़ी मरम्मत के लिए अलग से बचाकर रखते हैं।
आम तौर पर, पैसों के जानकार (financial advisors) कम से कम 3 से 6 महीने के ज़रूरी खर्चों के बराबर Emergency Fund रखने की सलाह देते हैं।
जब आप Personal Loan का सहारा लेते हैं, तो आप असली समस्या को अनदेखा कर रहे होते हैं, जो कि आपके पास पैसों की कमी है।
आप एक गड्ढे को भरने के लिए दूसरा गड्ढा खोद रहे होते हैं।
यह आपको उस हालत से बाहर निकालने में मदद नहीं करता जहाँ आप भविष्य में फिर से ऐसी ही इमरजेंसी में फँस सकते हैं।
यह सिर्फ़ एक अस्थायी हल (short-term fix) है, न कि पक्का समाधान (long-term solution)।
इसकी बजाय, आपकी सबसे पहली प्राथमिकता एक मज़बूत इमरजेंसी फंड बनाने की होनी चाहिए, ताकि आप पैसों के मामले में आत्मनिर्भर बन सकें।
बेवजह के खर्च और पैसों का सही इस्तेमाल न करना
Personal Loan का आसानी से मिल जाना कभी-कभी बेवजह के खर्चों को भी बढ़ावा दे सकता है।
चूँकि ये लोन बिना ज़्यादा पूछताछ के फटाफट मिल जाते हैं, कुछ लोग इनका इस्तेमाल ऐसे खर्चों के लिए भी कर लेते हैं जिनकी उन्हें असल में ज़रूरत नहीं होती,
जैसे कोई नया मोबाइल गैजेट खरीदना, घूमने जाना या शादी का खर्च बढ़ाना।
इमरजेंसी के लिए लिया गया लोन भी अक्सर असली ज़रूरत से ज़्यादा होता है, क्योंकि बैंक एक तय कम से कम रकम ही देते हैं। ऐसे में, ज़रूरत से ज़्यादा पैसा मिलने पर बेवजह खर्च होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह आपके पैसों को सही तरीके से मैनेज करने की आदत को कमज़ोर करता है और आपको बचत करने की आदत से दूर कर सकता है।
अगर आप इमरजेंसी में लोन पर निर्भर रहते हैं, तो आप बचत करने की प्रेरणा खो सकते हैं, यह सोचकर कि ज़रूरत पड़ने पर लोन तो मिल ही जाएगा।
यह आदत आपकी आर्थिक सेहत के लिए बहुत ख़राब है और आपको कभी भी आर्थिक रूप से मज़बूत नहीं बनने देती।
Personal Loan के अच्छे विकल्प क्या हैं?
Personal Loan लेने से पहले,
हमेशा दूसरे रास्तों पर सोचना चाहिए जो अक्सर ज़्यादा समझदारी भरे होते हैं और आपकी आर्थिक सेहत के लिए बेहतर साबित होते हैं।
सबसे पहले, अपने इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करें। यह पैसा इसी काम के लिए बचाया गया है,
और इसे इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है।
दूसरा, अगर आपके पास कोई निवेश (investment) है जिसे आप आसानी से कैश (liquidate) में बदल सकते हैं (जैसे फिक्स्ड डिपॉज़िट (Fixed Deposit) या लिक्विड म्यूचुअल फंड (Liquid Mutual Fund)),
तो उस पर सोचें। कभी-कभी निवेश तोड़ने पर मामूली टैक्स (tax) या जुर्माना लग सकता है,
लेकिन यह Personal Loan की ऊँची ब्याज दर से अक्सर कहीं कम होता है।
तीसरा, अपने परिवार या दोस्तों से मदद माँगने पर विचार करें, खासकर अगर रकम छोटी हो।
यह आपको ब्याज के बोझ से बचा सकता है। चौथा, यदि आप नौकरीपेशा हैं, तो अपने प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) से कुछ पैसे निकालना (partial withdrawal) एक रास्ता हो सकता है,
हालाँकि इसकी अपनी शर्तें होती हैं और यह आपकी रिटायरमेंट की बचत (retirement savings) पर असर डाल सकता है।
क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का इस्तेमाल भी एक विकल्प है,
लेकिन सिर्फ़ तभी जब आप उस रकम को अगले बिलिंग साइकिल (billing cycle) तक चुकाने का इरादा रखते हों, नहीं तो क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें तो पर्सनल लोन से भी ज़्यादा हो सकती हैं।
सोच-समझकर ही इसका इस्तेमाल करें।
Conclusion
अचानक आए खर्चों के लिए पर्सनल लोन भले ही तुरंत पैसे का इंतज़ाम कर दे, ले
किन इसकी ऊँची ब्याज दरें, मुश्किल शर्तें और क्रेडिट स्कोर पर बुरे असर की वजह से यह एक महँगा और जोखिम भरा (risky) रास्ता है।
यह असली समस्या, यानी इमरजेंसी फंड की कमी, को हल नहीं करता बल्कि आपको कर्ज के जाल में फँसा सकता है।
एक समझदारी भरी आर्थिक रणनीति (financial strategy) यही है कि आप हमेशा एक मज़बूत इमरजेंसी फंड बनाकर रखें।
यह आपको अचानक आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार करता है, बिना किसी ज़्यादा ब्याज वाले लोन पर निर्भर हुए।
अपनी आर्थिक सेहत को सबसे ज़्यादा ज़रूरी मानें और हमेशा पर्सनल लोन जैसे महँगे रास्तों पर निर्भर रहने से बचें।
यह आपकी आर्थिक यात्रा में स्थिरता और शांति देगा।
FAQ
अचानक आए खर्चों के लिए पर्सनल लोन क्यों नहीं लेना चाहिए?
क्योंकि इनकी ब्याज दर (interest rate) बहुत ज़्यादा होती है, जिससे आपकी किस्त (EMI) बढ़ जाती है और आप पर बड़ा आर्थिक बोझ (financial burden) आता है।
पर्सनल लोन का सबसे बड़ा नुकसान क्या है?
इसका सबसे बड़ा नुकसान इसकी ऊँची ब्याज दर है, जो आपको ली गई रकम से कहीं ज़्यादा पैसा चुकाने पर मजबूर करती है,
और किस्तें (EMIs) चूकने पर क्रेडिट स्कोर (Credit Score) भी ख़राब हो सकता है।
क्या पर्सनल लोन से मेरा क्रेडिट स्कोर ख़राब हो सकता है?
हाँ, अगर आप समय पर किस्तें नहीं भर पाते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर बुरी तरह ख़राब हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको कोई और लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।
पर्सनल लोन लेने के बजाय क्या करना चाहिए?
पर्सनल लोन के बजाय आपको हमेशा एक इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) बनाना चाहिए,
या अपनी बचत (जैसे फिक्स्ड डिपॉज़िट) का इस्तेमाल करना चाहिए।
इमरजेंसी फंड क्या है और यह क्यों ज़रूरी है?
इमरजेंसी फंड वह पैसा है जिसे आप अचानक आए खर्चों जैसे बीमारी, नौकरी छूटने या गाड़ी-घर की मरम्मत के लिए बचाकर रखते हैं।
यह आपको बिना लोन लिए मुश्किल हालात से निकलने में मदद करता है।
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