आज के दौर में अच्छी शिक्षा पाना हर छात्र का सपना होता है, पर कई बार पैसों की कमी इस सपने के बीच आ जाती है।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी की फीस, रहने-खाने का खर्च और किताबें, ये सब मिलाकर एक बड़ी रकम हो जाती है, जिसे जुटाना हर परिवार के लिए मुश्किल हो सकता है।
ऐसे में Education Loan एक बहुत बड़ा सहारा बनकर आता है।
यह एक ऐसा लोन (Loan) है जो बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों (Financial Companies) द्वारा छात्रों को उनकी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने के लिए दिया जाता है।
यह सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए भी उपलब्ध होता है।
Education Loan सिर्फ़ एक आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि यह छात्रों को आत्मनिर्भर (self-reliant) बनने और अपने पैरों पर खड़े होने में भी मदद करता है।
यह माता-पिता पर से भी पैसों का बोझ कम करता है, क्योंकि उन्हें अपनी सारी जमा-पूंजी एक साथ खर्च नहीं करनी पड़ती।
हालाँकि, Education Loan लेने से पहले इसकी पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है जैसे यह कैसे मिलता है, इसके क्या फायदे हैं, कौन इसके लिए योग्य है, और इसे वापस कैसे चुकाया जाता है।
आइए, विस्तार से समझते हैं एजुकेशन लोन के हर पहलू को, जिसमें कुछ ऐसी बातें भी होंगी जो आपको शायद हर जगह न मिलें और आपके लिए बहुत काम की साबित होंगी।
Education Loan क्या है? क्यों इसकी ज़रूरत पड़ती है?

Education Loan एक खास तरह का लोन है जिसे कोई भी बैंक या NBFC (Non-Banking Financial Company) छात्रों को उनकी आगे की पढ़ाई (जिसे उच्च शिक्षा कहते हैं) के लिए देते हैं।
इस लोन का सबसे बड़ा मकसद यह पक्का करना है कि पैसों की कमी की वजह से किसी भी होनहार छात्र की पढ़ाई न रुके।
यह लोन सिर्फ़ कॉलेज या यूनिवर्सिटी की फीस ही नहीं देता, बल्कि इसमें कोर्स से जुड़े दूसरे ज़रूरी खर्चों को भी शामिल किया जाता है।
आजकल पढ़ाई-लिखाई का खर्च लगातार बढ़ रहा है। अच्छी यूनिवर्सिटी में एडमिशन (Admission) मिलना अपने आप में एक बड़ी बात है, और अगर मिल भी जाए तो उसकी फीस इतनी ज़्यादा होती है कि आम परिवार के लिए उसे एक साथ दे पाना नामुमकिन सा हो जाता है।
ऐसे में Education Loan एक पुल (bridge) की तरह काम करता है, जो छात्रों को उनके सपनों के कॉलेज या कोर्स तक पहुँचने में मदद करता है।
यह छात्रों को अच्छी शिक्षा पाने का मौका देता है, जिससे उनके लिए बेहतर नौकरी और एक अच्छा भविष्य बनता है।
माता-पिता के लिए यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि उन्हें अपनी बचत (savings) को तोड़ना नहीं पड़ता और वे रिटायरमेंट (retirement) या दूसरे आर्थिक लक्ष्यों (financial goals) के लिए अपनी जमा पूंजी बचाकर रख सकते हैं।
असल में, ये लोन सिर्फ़ पैसे नहीं, बल्कि आपके बच्चे के भविष्य को बनाने का मौका देता है, जो शायद आपकी मौजूदा बचत से संभव न हो।
Education Loan के फायदे: आपको क्या लाभ होंगे?
Education Loan लेने के कई बड़े फायदे होते हैं, जो छात्र और उनके माता-पिता दोनों को मिलते हैं।
सबसे पहला और सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह छात्रों को अपनी पसंद के उच्च शिक्षा कोर्स और कॉलेज में पढ़ने का मौका देता है, चाहे वह भारत में हो या विदेश में।
अगर परिवार के पास पर्याप्त पैसे नहीं भी हैं, तब भी छात्र अपनी पसंद की पढ़ाई कर सकते हैं।
दूसरा फायदा यह है कि यह परिवार की जमा पूंजी पर कोई बोझ नहीं डालता। माता-पिता को अपनी बचत या निवेश (investment) को बेचना नहीं पड़ता, और वे अपने रिटायरमेंट के लिए या दूसरे बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचाकर रख सकते हैं।
तीसरा बहुत बड़ा फायदा टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) का है।
इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) की धारा 80E (Section 80E) के तहत, एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज (Interest) पर पूरी टैक्स छूट (Tax Exemption) मिलती है।
यह छूट लोन चुकाने के साल से शुरू होकर अगले 8 साल तक मिलती रहती है, जिससे टैक्स (Tax) में काफी बचत होती है।
चौथा फायदा यह है कि लोन लेने से छात्र की अपनी क्रेडिट हिस्ट्री (Credit History) बनती है।
जब छात्र लोन की किस्तों (EMIs) को समय पर चुकाते हैं, तो उनका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अच्छा बनता है, जो भविष्य में उन्हें होम लोन, पर्सनल लोन (Personal Loan) या कार लोन (Car Loan) लेने में मदद करता है।
पांचवां फायदा यह है कि 4 लाख रुपये तक के एजुकेशन लोन के लिए आमतौर पर किसी कोलेटरल (collateral) यानी गिरवी रखने वाली चीज़ की ज़रूरत नहीं होती।
कुछ बैंक 7.5 लाख रुपये तक के लोन के लिए भी कोलेटरल नहीं मांगते, जिससे यह ज़्यादा छात्रों के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
Education Loan किसे मिलता है?

Education Loan पाने के लिए कुछ ज़रूरी शर्तें होती हैं, जिनका पूरा होना बहुत ज़रूरी है।
बैंक छात्र और जिस कोर्स व संस्थान में एडमिशन लिया जा रहा है, उन दोनों की योग्यता देखते हैं।
कौन छात्र लोन ले सकता है:
- छात्र को भारत का नागरिक होना चाहिए।
- छात्र को किसी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान (recognized educational institution) में किसी ग्रेजुएट (graduate), पोस्ट-ग्रेजुएट (post-graduate), या प्रोफेशनल कोर्स (professional course) में एडमिशन मिल गया हो। यह एडमिशन किसी मेरिट लिस्ट (merit list) या एंट्रेंस एग्जाम (entrance exam) के ज़रिए होना चाहिए।
- छात्र की उम्र आमतौर पर 16 से 35 साल के बीच होनी चाहिए (कुछ बैंकों में उम्र की सीमा थोड़ी अलग हो सकती है)।
- अगर लोन की रकम ज़्यादा है (जैसे 7.5 लाख रुपये से ऊपर), तो माता-पिता या पति/पत्नी को को-एप्लीकेंट (co-applicant) या गारंटर (guarantor) के रूप में शामिल होना पड़ सकता है। उनकी कमाई (income) और क्रेडिट स्कोर (Credit Score) भी देखा जाता है।
कौन से कोर्स और खर्चे कवर होते हैं:
एजुकेशन लोन सिर्फ़ फीस तक ही सीमित नहीं होता। इसमें पढ़ाई से जुड़े कई और खर्चे भी शामिल होते हैं:
- कॉलेज या यूनिवर्सिटी की फीस।
- हॉस्टल फीस (Hostel Fees) या पढ़ाई के दौरान रहने-खाने का खर्च।
- किताबें, कॉपी, पेन और दूसरे ज़रूरी सामान (जैसे लैपटॉप – Laptop) खरीदने का खर्च।
- एग्जामिनेशन (examination) और लाइब्रेरी (library) फीस।
- कॉशन डिपॉज़िट (caution deposit), बिल्डिंग फंड (building fund) या ऐसे ही दूसरे पैसे जो वापसी योग्य हों।
- अगर विदेश में पढ़ाई करनी है, तो हवाई यात्रा का खर्च।
- स्टूडेंट इंश्योरेंस प्रीमियम (student insurance premium) (अगर बैंक या कॉलेज इसे ज़रूरी बताएं)।
- ध्यान रखें, कुछ बैंक सिर्फ़ उन कोर्स के लिए लोन देते हैं जिनकी मार्केट में अच्छी नौकरी मिलने की संभावना हो।
Education Loan कैसे लें?
एजुकेशन लोन लेने की प्रक्रिया को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि आप इसे आसानी से पूरा कर सकें और आपका काम फटाफट हो जाए।
पूरी प्रक्रिया ऐसे काम करती है:
सबसे पहले, आपको अलग-अलग बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों के एजुकेशन लोन के ऑफर (offer) की तुलना करनी चाहिए।
उनकी ब्याज दरों (interest rates), लोन चुकाने की शर्तों (repayment terms), मोराटोरियम पीरियड (moratorium period), और प्रोसेसिंग फीस (processing fees) की जानकारी लें।
आप भारत सरकार के विद्या लक्ष्मी पोर्टल (Vidya Lakshmi Portal) जैसी वेबसाइट्स पर भी अलग-अलग बैंकों के लोन देख सकते हैं।
तुलना करने के बाद, अपनी ज़रूरत के हिसाब से बैंक चुनें और लोन एप्लीकेशन (loan application) फॉर्म भरें।
आप यह काम ऑनलाइन या बैंक की ब्रांच में जाकर कर सकते हैं।
लोन के लिए ज़रूरी कागजात (Required Documents):
लोन एप्लीकेशन के साथ आपको कुछ बहुत ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे। इ
न डॉक्यूमेंट्स को पहले से तैयार रखने से आपका काम बहुत तेज़ हो जाता है:
- छात्र के अपने डॉक्यूमेंट्स:
- पहचान का प्रूफ (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट)।
- पते का प्रूफ (जैसे बिजली का बिल, आधार कार्ड)।
- पढ़ाई से जुड़े सारे रिकॉर्ड (जैसे 10वीं, 12वीं की मार्कशीट, ग्रेजुएशन की डिग्री – अगर हो तो)।
- जिस कोर्स में एडमिशन मिला है, उसका पक्का एडमिशन लेटर (Admission Letter) और कॉलेज की पूरी फीस स्ट्रक्चर (Fee Structure)।
- पासपोर्ट साइज फोटो।
- सह-आवेदक (Co-Applicant) या माता-पिता के डॉक्यूमेंट्स:
- पहचान और पते का प्रूफ।
- कमाई का प्रूफ (Income Proof) – जैसे पिछले कुछ महीनों की सैलरी स्लिप (Salary Slip), पिछले 6-12 महीने का बैंक स्टेटमेंट (Bank Statement), और पिछले 2-3 साल का इनकम टैक्स रिटर्न (ITR)। अगर बिज़नेस करते हैं, तो बिज़नेस से जुड़े कागज़ात।
- प्रॉपर्टी या गिरवी रखने वाले कागजात (अगर लोन के लिए ज़रूरत हो):
- आपके घर या प्रॉपर्टी के सारे कागजात (जैसे सेल डीड – Sale Deed, टाइटल डीड – Title Deed)।
- अगर आप फिक्स्ड डिपॉज़िट (Fixed Deposit) या किसी और निवेश (investment) को गिरवी रख रहे हैं, तो उसके कागज़ात।
बैंक द्वारा जाँच और पैसा मिलना: सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करने के बाद, बैंक आपके क्रेडिट स्कोर, कोर्स और कॉलेज की मान्यता, और को-एप्लीकेंट की कमाई की जाँच करेगा। सब कुछ सही पाए जाने पर,
बैंक आपके लोन को मंज़ूरी (sanction) देगा और आपको एक सैंक्शन लेटर (Sanction Letter) देगा जिसमें लोन की सभी शर्तें लिखी होंगी।
लोन का पैसा आमतौर पर सीधे कॉलेज या यूनिवर्सिटी को दिया जाता है, या किस्तों में छात्र के बैंक अकाउंट में डाला जाता है, जो कोर्स की फीस स्ट्रक्चर पर निर्भर करता है।
Education Loan की EMI, ब्याज और सब कुछ
एजुकेशन लोन लेते समय किस्त (EMI), ब्याज दर (Interest Rate) और मोराटोरियम पीरियड (Moratorium Period) को समझना बहुत ज़रूरी है।
पर, सह-आवेदक (Co-Applicant) की ज़िम्मेदारी एक ऐसा पहलू है जिसे अक्सर लोग ठीक से नहीं समझते, जबकि यह बहुत अहम है।
ब्याज दरें और EMI:
एजुकेशन लोन की ब्याज दरें हर बैंक में अलग-अलग हो सकती हैं।
ये कई बातों पर निर्भर करती हैं, जैसे बैंक की नीतियाँ, लोन की रकम (Loan Amount), कोर्स और कॉलेज का नाम, और आपने कोई चीज़ गिरवी रखी है या नहीं।
ज़्यादातर एजुकेशन लोन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating Interest Rate) पर होते हैं, जिसका मतलब है कि ब्याज दर मार्केट के हिसाब से बदलती रहती है।
कुछ बैंक फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट (Fixed Interest Rate) का भी विकल्प देते हैं, जहाँ ब्याज दर पूरे लोन की अवधि के लिए एक जैसी रहती है। आपकी EMI इसी ब्याज दर और लोन की कुल रकम पर निर्भर करती है।
मोराटोरियम पीरियड को समझें (छुट्टी का समय):
यह एजुकेशन लोन का एक बहुत खास हिस्सा है। मोराटोरियम पीरियड वह समय होता है जब छात्र को लोन की किस्तें नहीं चुकानी पड़तीं।
इस दौरान आमतौर पर सिर्फ़ साधारण ब्याज (simple interest) लगता है, यानी ब्याज पर ब्याज नहीं लगता।
मोराटोरियम पीरियड में आमतौर पर आपके कोर्स की पूरी अवधि और कोर्स खत्म होने के बाद 6 महीने से 1 साल तक का ग्रेस पीरियड (grace period) शामिल होता है।
यह ग्रेस पीरियड छात्र को नौकरी ढूंढने और अपनी EMI शुरू करने के लिए समय देता है। लेकिन सबसे अहम बात:
इस दौरान जो भी ब्याज बनता है, वो आपकी लोन की कुल रकम (मूलधन) में जुड़ जाता है, जिससे आपकी कुल लोन की रकम बढ़ जाती है और बाद में आपकी EMI भी बढ़ जाती है।
कुछ छात्र या उनके माता-पिता इस दौरान ब्याज का भुगतान करते रहते हैं ताकि लोन का कुल बोझ कम हो सके।
सह-आवेदक (Co-Applicant) का रोल और ज़िम्मेदारी (ये बातें कोई नहीं बताता!):
एजुकेशन लोन में सह-आवेदक (अक्सर माता-पिता) की भूमिका बहुत बड़ी होती है।
बैंक लोन देते समय छात्र के साथ सह-आवेदक की क्रेडिट हिस्ट्री और कमाई (income) को भी देखते हैं, क्योंकि वे लोन चुकाने के लिए कानूनी रूप से बराबर के ज़िम्मेदार होते हैं।
- लोन चुकाने की पूरी ज़िम्मेदारी: अगर छात्र किसी वजह से लोन नहीं चुका पाता (जैसे नौकरी नहीं मिली या सैलरी कम है), तो सह-आवेदक को पूरा लोन चुकाना पड़ता है। बैंक उनसे ही पैसे वसूल करेगा।
- क्रेडिट स्कोर पर सीधा असर: अगर छात्र लोन की किस्तें चुकाने में डिफ़ॉल्ट करता है (यानी पैसे नहीं भर पाता), तो इसका सीधा और बहुत बुरा असर सह-आवेदक के क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है। भविष्य में सह-आवेदक को अपना होम लोन, कार लोन या कोई और लोन लेने में बहुत दिक्कत आ सकती है, या उन्हें बहुत ऊँची ब्याज दर पर लोन मिलेगा।
- अचानक की चुनौतियां: कई बार, छात्र पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं या उन्हें नौकरी नहीं मिलती। ऐसे में, बैंक तुरंत EMI शुरू करने को कह सकता है, और ये सारा बोझ सह-आवेदक पर आ जाता है। इस ज़िम्मेदारी को समझते हुए ही सह-आवेदक बनें और हमेशा एक प्लान बी (Plan B) तैयार रखें।
Education Loan चुकाने के सही तरीके और कुछ खास सलाह
एजुकेशन लोन लेना जितना ज़रूरी है, उसे समय पर और समझदारी से चुकाना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है, ताकि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा रहे और आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र (financially independent) बन सकें।
लोन चुकाने के सही तरीके (Repayment Strategy):
एजुकेशन लोन की किस्तें (EMIs) आमतौर पर मोराटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद शुरू होती हैं।
आप अपने बैंक के साथ तय की गई अवधि (tenure) के हिसाब से मासिक किस्तों में लोन चुकाते हैं।
- मोराटोरियम के दौरान ब्याज भरें: अगर संभव हो, तो छात्र या माता-पिता मोराटोरियम पीरियड के दौरान भी सिर्फ ब्याज भरते रहें। ऐसा करने से ब्याज की रकम लोन के मूलधन में नहीं जुड़ती और कुल चुकाई जाने वाली ब्याज बहुत कम हो जाती है। यह एक छोटी सी आदत आपके लाखों रुपये बचा सकती है।
- जल्दी नौकरी और ज़्यादा पेमेंट: अगर छात्र को जल्दी नौकरी मिल जाती है और उसकी सैलरी (salary) अच्छी होती है, तो उसे लोन की किस्तों से ज़्यादा पैसा चुकाने (पार्ट पेमेंट – part payment) या पूरा लोन जल्दी चुकाने (प्रीपेमेंट – prepayment) की कोशिश करनी चाहिए। इससे भी ब्याज की बचत होती है और लोन तेज़ी से चुकता होता है। कई बैंक एजुकेशन लोन पर प्रीपेमेंट पेनल्टी (prepayment penalty) नहीं लेते।
- टैक्स बेनिफिट का पूरा फायदा: एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है। यह आपके टैक्स (Tax) को बचाने में काफी मदद करता है, इसलिए अपनी टैक्स प्लानिंग (tax planning) में इसे ज़रूर शामिल करें।
कुछ खास सलाह और भविष्य की चुनौतियां:
- करियर प्लानिंग: छात्र को ऐसा कोर्स चुनना चाहिए जिसकी मार्केट में अच्छी नौकरी मिलने की उम्मीद हो। अपनी सैलरी से लोन चुकाने की क्षमता का अनुमान पहले से लगा लेना चाहिए।
- आपातकालीन फंड (Emergency Fund): छात्र को नौकरी लगने के बाद सबसे पहले एक आपातकालीन फंड बनाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि लोन चुकाने के साथ-साथ किसी अचानक आए खर्च के लिए भी तैयारी रहे। यह लोन की किस्तों को चुकाने में आने वाली मुश्किलों से बचाएगा।
- लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें: लोन लेने से पहले लोन एग्रीमेंट (loan agreement) की हर एक लाइन को ध्यान से पढ़ें। इसमें छिपे हुए खर्चे, पेनल्टी (penalty), और मोराटोरियम के बाद ब्याज कैसे जुड़ेगा, ये सब लिखा होता है। कोई भी डाउट (doubt) हो तो बैंक से पूछें।
- बातचीत ज़रूरी: अगर दुर्भाग्यवश नौकरी नहीं मिलती या सैलरी उम्मीद से कम होती है, तो छात्र को तुरंत बैंक से बात करनी चाहिए। बैंक रीपेमेंट शेड्यूल (repayment schedule) को बदलने या मोराटोरियम बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं, पर इसके लिए पहले से बात करना ज़रूरी है, न कि EMI चूकने के बाद।
- फॉरेन एक्सचेंज का ध्यान: विदेश में पढ़ाई के लिए लोन लेने वाले छात्र फॉरेन एक्सचेंज रेट (foreign exchange rate) में होने वाले बदलावों पर भी ध्यान दें, क्योंकि इससे आपके कुल खर्च पर असर पड़ सकता है।
Conclusion
एजुकेशन लोन आज के समय में अच्छी शिक्षा हासिल करने का एक बहुत ही प्रभावी और ज़रूरी माध्यम बन गया है।
यह छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने और भविष्य में एक सफल करियर बनाने के लिए सही शिक्षा प्राप्त करने का अवसर देता है,
चाहे उनकी आर्थिक स्थिति (financial condition) कैसी भी हो।
यह माता-पिता के लिए भी एक राहत है, क्योंकि उन्हें अपनी सारी बचत को एक साथ खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
हालाँकि, एजुकेशन लोन लेने से पहले इसकी पूरी जानकारी रखना, अलग-अलग बैंकों के ऑफर की तुलना करना, और रीपेमेंट की योजना बनाना बहुत ज़रूरी है।
ब्याज दरें, मोराटोरियम पीरियड, टैक्स बेनिफिट्स और सह-आवेदक की ज़िम्मेदारी जैसी बातों को ध्यान से समझें।
लोन से जुड़े सभी छिपे हुए खर्चे और डिस्बर्समेंट के तरीकों पर भी ध्यान दें।
एक समझदारी भरा फैसला और समय पर लोन चुकाने की आदत आपके एजुकेशन लोन को आपके सपनों की उड़ान का एक मज़बूत आर्थिक सहारा बनाएगी, न कि भविष्य का बोझ।
FAQ
Education Loan क्यों लेना चाहिए?
यह आपको बिना पैसों की चिंता किए अच्छी पढ़ाई करने में मदद करता है।
Education Loan लेने के लिए क्या सबसे ज़रूरी है?
किसी मान्यता प्राप्त कोर्स या कॉलेज में आपका एडमिशन (Admission) पक्का होना ज़रूरी है।
Education Loan की EMI कब शुरू होती है?
आपकी पढ़ाई खत्म होने और नौकरी ढूंढने के लिए मिले ग्रेस पीरियड (Grace Period) के बाद आपकी EMI शुरू होती है।
क्या Education Loan पर टैक्स में छूट मिलती है?
हाँ, एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज (Interest) पर धारा 80E (Section 80E) के तहत टैक्स छूट (Tax Exemption) मिलती है।
अगर लोन लेने वाला (छात्र) लोन न चुका पाए तो क्या होता है?
सह-आवेदक (Co-applicant) को लोन चुकाना पड़ता है और क्रेडिट स्कोर (Credit Score) पर बुरा असर पड़ता है।