आजकल हर चीज़ EMI पर मिल जाती है, मोबाइल से लेकर मोटरसाइकिल, गाड़ी, फर्नीचर, यहां तक कि फ्रिज और AC भी।

EMI यानी हर महीने छोटी-छोटी किस्तों में पैसा चुकाना।

सुनने में आसान लगता है, पर जब ये EMI एक से दो, दो से चार हो जाती है तब पता चलता है कि हम तो एक जाल में फंस चुके हैं।

शुरू में लगता है कि कितना अच्छा ऑफर है। बड़ी रकम एक साथ देने की ज़रूरत नहीं, और चीज़ तुरंत मिल भी जाती है।

पर यहीं पर लोग भूल करते हैं। पहली EMI ठीक लगती है, दूसरी भी manageable होती है।

फिर तीसरी आ जाती है, फिर चौथी, और फिर धीरे-धीरे हर महीने सैलरी आते ही आधा पैसा इन किस्तों में चला जाता है।

कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

क्योंकि EMI धीरे-धीरे हमें इस तरह बाँध लेती है कि हम चाहकर भी आसानी से बाहर नहीं निकल पाते।

EMI क्यों बनती है मुसीबत?

दरअसल, जब हम कोई चीज़ EMI पर लेते हैं, तो हम सिर्फ उस वक्त के हिसाब से सोचते हैं।

हमें लगता है कि हर महीने दो-तीन हज़ार की किस्त तो आराम से निकल जाएगी।

पर हम ये नहीं सोचते कि अगर दो या तीन चीज़ें इसी तरह किस्तों में लें, तो टोटल EMI बहुत भारी हो सकती है।

मान लीजिए आपने एक फोन लिया, फिर एक लैपटॉप, फिर बाइक और उसके बाद एक पर्सनल लोन भी ले लिया अब हर महीने की चार-पांच EMI

मिलाकर आपकी सैलरी का बड़ा हिस्सा चला जाता है। बाकी जो पैसा बचता है, उसमें घर चलाना, ज़रूरतें पूरी करना और सेविंग करना मुश्किल हो जाता है।

सबसे बड़ी बात ये है कि EMI का असर सिर्फ पैसों तक नहीं रहता, ये आपके मन और दिमाग पर भी बोझ बन जाती है।

हर महीने डर लगता है कि कहीं EMI मिस न हो जाए, कहीं लेट फाइन न लग जाए।

और अगर कोई इमरजेंसी आ जाए जैसे मेडिकल खर्च या नौकरी जाने जैसी स्थिति, तब हाल और भी खराब हो जाता है।

EMI से बाहर निकलने की शुरुआत कहां से करें?

सबसे पहले तो खुद से ईमानदारी से बात करनी होगी। बैठो और एक पेपर पर लिखो कि कौन-कौन सी EMI चल रही है।

कितनी रकम बाकी है, किस पर कितना ब्याज है और कितने महीने बचे हैं। जब तक हम सच का सामना नहीं करते, तब तक हल नहीं मिलेगा।

अब इस लिस्ट को देखकर सोचो कि सबसे पहले कौन सी EMI खत्म की जा सकती है।

अगर कोई EMI छोटी है या ब्याज ज़्यादा है, तो कोशिश करो कि पहले उसे खत्म कर दो।

जैसे-जैसे एक-एक EMI खत्म होती जाएगी, आपका बोझ हल्का होता जाएगा।

एक तरीका ये भी है कि EMI को “बर्फ के गोले” की तरह समझो। यानी जो सबसे छोटी EMI है, उसे पहले खत्म करो।

फिर जो पैसा उससे बचा, उसे दूसरी EMI में जोड़ दो। धीरे-धीरे ये पैसा बढ़ता जाएगा और आपकी बाकी EMI जल्दी खत्म होने लगेगी।

खर्च करने की आदत को कंट्रोल करना होगा

EMI से निकलने का सबसे बड़ा तरीका यही है कि आप खुद को रोकना सीखो।

जब भी मन करे कि नया मोबाइल लेना है, नया गैजेट चाहिए, या EMI पर कोई सामान लेना है तो बस एक बार रुककर सोचो, “क्या ये अभी ज़रूरी है?” अगर जवाब ना है, तो उसे टाल दो।

कई बार हम ज़रूरत से ज़्यादा सिर्फ दूसरों को देखकर खर्च करने लगते हैं।

सोशल मीडिया पर देखकर लगता है कि सबके पास सब कुछ है, हमें भी लेना चाहिए। लेकिन याद रखो, हर किसी की ज़िंदगी की सच्चाई अलग होती है।

EMI में फंसे लोग मुस्कुराते हुए फोटो डालते हैं, लेकिन असलियत में उनके दिल में भी भारी बोझ होता है।

EMI से जल्दी निकलने का तरीका

अगर आप सच में इस जाल से जल्दी निकलना चाहते हैं, तो एक काम और कर सकते हैं, कोई साइड इनकम शुरू कीजिए।

आज के समय में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बहुत से छोटे-मोटे काम मिलते हैं, जैसे फ्रीलांसिंग, कंटेंट लिखना, डिज़ाइनिंग, ट्यूशन देना, या फिर कुछ भी जो आप कर सकते हैं।

ये जो एक्स्ट्रा कमाई होगी, उसे अपनी EMI में लगाइए।

चाहे ₹1000 हो या ₹5000 ये छोटी-छोटी रकम आपके लोन को जल्दी खत्म करने में बहुत मदद करेंगी।

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EMI से आज़ादी का मतलब सिर्फ पैसों की राहत नहीं है

सोचिए, जब आपकी कोई EMI नहीं होगी तब सैलरी का हर रुपया आपके अपने काम आएगा।

आप चाहें तो बचत करें, कहीं घूमने जाएं, परिवार को गिफ्ट दें, या फिर खुद की हेल्थ और फ्यूचर पर पैसा लगाएं।

कोई मानसिक बोझ नहीं रहेगा, न डर रहेगा, और न ही हर महीने कैलेंडर देखने की आदत कि “अरे आज EMI कटेगी।”

ये आज़ादी सिर्फ आर्थिक नहीं होती, ये मानसिक और भावनात्मक भी होती है। और यकीन मानिए ये सबसे कीमती चीज़ होती है।

EMI में ब्याज दर (Rate of Interest) कैसे काम करता है?

EMI का सबसे बड़ा हिस्सा होता है ब्याज। यानी आपने जो उधार लिया है, उसके ऊपर बैंक या फाइनेंस कंपनी जो पैसा ले रही है, वही ब्याज होता है।

कई बार लोग सिर्फ EMI की रकम देखकर खुश हो जाते हैं कि “अरे सिर्फ ₹2000 महीने देना है”

लेकिन ध्यान नहीं देते कि उसमें से असली लोन कितना है और ब्याज कितना।

मान लीजिए आपने ₹50,000 का मोबाइल EMI पर लिया और EMI बनती है ₹2500 महीने की 24 महीनों के लिए।

अब आप टोटल ₹60,000 दे रहे हो। यानी ₹10,000 सिर्फ ब्याज में गया। ऐसे में असल चीज़ की कीमत बहुत ज़्यादा हो जाती है।

जरूरी बात ये है कि EMI लेने से पहले ब्याज दर (Rate of Interest) जरूर चेक करें।

और ये भी समझें कि कौन-सी कंपनी या बैंक कितने % ब्याज पर EMI दे रही है। कभी-कभी कम EMI के चक्कर में लोग ज़्यादा ब्याज वाले लोन ले लेते हैं।

EMI की आखिरी तारीख से पहले भुगतान क्यों जरूरी है?

EMI की डेट यानी ड्यू डेट एक तय तारीख होती है, जब तक आपकी किस्त जमा हो जानी चाहिए।

अगर आपने EMI समय पर नहीं दी, तो सिर्फ लेट फीस ही नहीं, क्रेडिट स्कोर भी खराब हो सकता है।

क्रेडिट स्कोर एक ऐसा रिकॉर्ड होता है जो बताता है कि आप पैसे समय पर लौटाते हैं या नहीं।

अगर स्कोर खराब हुआ, तो आगे चलकर आपको लोन मिलना मुश्किल हो जाएगा या बहुत महंगे ब्याज पर मिलेगा।

इसलिए हमेशा कोशिश करें कि EMI ड्यू डेट से पहले ही कट जाए।

आप चाहें तो ऑटो डेबिट सेट कर सकते हैं, ताकि बैंक खुद तय तारीख को पैसे काट ले।

कुछ फायदे EMI समय से पहले या समय पर देने के:

  • कोई लेट फाइन नहीं लगेगा
  • मानसिक सुकून मिलेगा
  • भविष्य में लोन लेने में आसानी होगी
  • कुछ बैंक समय पर EMI देने पर ब्याज में छूट भी देते हैं

क्या EMI से पहले पूरा पेमेंट करना फायदेमंद होता है?

बहुत लोग ये सवाल पूछते हैं कि “अगर EMI खत्म होने से पहले ही पूरा लोन चुका दें तो अच्छा है या नहीं?” इसका जवाब है हाँ, फायदा होता है, पर कुछ शर्तों के साथ।

अगर आप लोन की बाकी EMI समय से पहले चुका सकते हैं, तो उसे प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर कहते हैं।

इससे आपका ब्याज बचता है, क्योंकि लोन की अवधि कम हो जाती है।

लेकिन कुछ कंपनियां प्रीपेमेंट करने पर प्री-क्लोजर चार्ज लेती हैं। यानी आप जल्दी चुकाओगे, फिर भी उनसे पेनल्टी लोगे।

ये बात लोन लेते वक्त कागज़ों में छिपी होती है, जिसे लोग पढ़ते नहीं।

इसलिए अगर आप पूरा पेमेंट पहले करना चाहते हैं, तो:

  • पहले कंपनी से पूछिए कि कोई चार्ज लगेगा क्या
  • पता लगाइए कि कुल बचत कितनी होगी
  • और फिर फैसला कीजिए

अगर चार्ज नहीं लगता, तो प्रीपेमेंट करना बिलकुल फायदेमंद होता है।

Conclusion

EMI एक जरिया हो सकता है ज़िंदगी को आसान बनाने का अगर इसे सोच-समझ कर लिया जाए।

लेकिन जब हम बिना प्लानिंग और सिर्फ दिखावे या तात्कालिक इच्छा में आकर EMI लेते हैं, तो ये धीरे-धीरे हमारे ऊपर बोझ बन जाती है।

इससे बाहर निकलना मुश्किल नहीं, बस थोड़ी समझदारी, थोड़ी ईमानदारी और थोड़ा संयम चाहिए।

EMI की गुलामी से आज़ाद होकर जीना हर किसी का हक है और ये मुमकिन है।

शुरुआत आज करो। EMI की लिस्ट बनाओ, एक-एक करके उन्हें खत्म करने का प्लान बनाओ, और अपनी ज़िंदगी का कंट्रोल खुद के हाथ में वापस लो।

I am Jeeshan, writer of this blog. I have 8+ year of experience in banking sector. I have started this blog to share the valuable topic peoples always asking for it.

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